लेखनी प्रतियोगिता -31-Dec-2022.. शब्दों का महत्व
ये कोई कहानी नही.... बल्कि आज के दौर में रिश्तों में बढ़ रही दूरियों का एक छोटा सा कारण...एक छोटी सी वजह बताने की कोशिश कर रहीं हूँ...।
मैं चाहती थीं इस बात को एक कहानी का रुप देकर अच्छे से प्रस्तुत करुं.... लेकिन इस वक्त मेरे खुद के घर में मतभेद चल रहें हैं... इसलिए इतना समय नहीं निकाल पा रही...।
मैं खुद भी इस लेख से समझने का प्रयास कर रहीं हूँ... उम्मीद हैं आप भी समझ पाएं..। बात बहुत छोटी हैं.... लेकिन बहुत गहरी हैं.....।
"शब्दो_का_महत्व"
एक सहेली ने दूसरी सहेली से पूछा:- बच्चा पैदा होने की खुशी में तुम्हारे पति ने तुम्हें क्या तोहफा दिया ?
सहेली ने कहा - कुछ भी नहीं!
उसने सवाल करते हुए पूछा कि क्या ये अच्छी बात है ?
क्या उस की नज़र में तुम्हारी कोई कीमत नहीं ?
*लफ्ज़ों का ये ज़हरीला बम गिरा कर वह सहेली दूसरी सहेली को अपनी फिक्र में छोड़कर चलती बनी।।*
थोड़ी देर बाद शाम के वक्त उसका पति घर आया और पत्नी का मुंह लटका हुआ पाया।।
फिर दोनों में झगड़ा हुआ।।
एक दूसरे को लानतें भेजी।।
मारपीट हुई, और आखिर पति पत्नी में तलाक हो गया।।
*जानते हैं प्रॉब्लम की शुरुआत कहाँ से हुई? उस फिजूल के जुमले से जो उसका हालचाल जानने आई सहेली ने कहा था ।*
रवि ने अपने जिगरी दोस्त पवन से पूछा:- तुम कहाँ काम करते हो?
पवन- फलाँ दुकान में।। रवि- कितनी तनख्वाह देता है मालिक?
पवन-18 हजार।।
रवि-18000 रुपये बस, तुम्हारी जिंदगी कैसे कटती है इतने पैसों में ?
पवन- (गहरी सांस खींचते हुए)- बस यार क्या बताऊँ।।
*मीटिंग खत्म हुई, कुछ दिनों के बाद पवन अपने काम से बेरूखा हो गया।। और तनख्वाह बढ़ाने की डिमांड कर दी।। जिसे मालिक ने रद्द कर दिया।। पवन ने जॉब छोड़ दी और बेरोजगार हो गया।। पहले उसके पास काम था अब काम नहीं रहा।।*
एक साहब ने एक शख्स से कहा जो अपने बेटे से अलग रहता था।। तुम्हारा बेटा तुमसे बहुत कम मिलने आता है।। क्या उसे तुमसे मोहब्बत नहीं रही?
बाप ने कहा बेटा ज्यादा व्यस्त रहता है, उसका काम का शेड्यूल बहुत सख्त है।। उसके बीवी बच्चे हैं, उसे बहुत कम वक्त मिलता है।।
पहला आदमी बोला- वाह!! यह क्या बात हुई, तुमने उसे पाला-पोषा, उसकी हर ख्वाहिश पूरी की, अब उसको बुढ़ापे में व्यस्तता की वजह से मिलने का वक्त नहीं मिलता है।। यह तो ना मिलने का बहाना है।।
*इस बातचीत के बाद बाप के दिल में बेटे के प्रति शंका पैदा हो गई।। बेटा जब भी मिलने आता बाप ये ही सोचता रहता कि उसके पास सबके लिए वक्त है सिवाय मेरे।।*
*याद रखिए जुबान से निकले शब्द दूसरे पर बड़ा गहरा असर डाल देते हैं।।*
*बेशक कुछ लोगों की जुबानों से शैतानी बोल निकलते हैं।। हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत से सवाल हमें बहुत मासूम लगते हैं।।*
जैसे-
*तुमने यह क्यों नहीं खरीदा।।*
*तुम्हारे पास यह क्यों नहीं है।।*
*तुम इस शख्स के साथ पूरी जिंदगी कैसे चल सकते हो।।*
*तुम उसे कैसे मान सकते हो।।*
वगैरा वगैरा।।
इस तरह के बेमतलबी फिजूल के सवाल नादानी में या बिना मकसद के हम पूछ बैठते हैं।।
जबकि हम यह भूल जाते हैं कि हमारे ये सवाल सुनने वाले के दिल में
नफरत या मोहब्बत का कौन सा बीज बो रहे हैं।।
आज के दौर में हमारे इर्द-गिर्द, समाज या घरों में जो टेंशन टाइट होती जा रही है, उनकी जड़ तक जाया जाए तो अक्सर उसके पीछे किसी और का हाथ होता है।।
वो ये नहीं जानते कि नादानी में या जानबूझकर बोले जाने वाले जुमले किसी की ज़िंदगी को तबाह कर सकते हैं।।
ऐसी हवा फैलाने वाले हम ना बनें।।
*लोगों के घरों में अंधे बनकर जाओ और वहां से गूंगे बनकर निकलो।।*
*(दिल से एक बार विचार जरूर करें)*
आँचल सोनी 'हिया'
04-Jan-2023 10:01 PM
Good
Reply
Gunjan Kamal
03-Jan-2023 11:47 AM
बिल्कुल सही
Reply
सीताराम साहू 'निर्मल'
01-Jan-2023 08:18 PM
बेहतरीन
Reply